पटना, 13 अक्तूबर, 2025 — आगामी बिहार विधानसभा चुनावों के मद्देनजर, एनडीए ने रविवार को सीट-बंटवारा फॉर्मूला सार्वजनिक कर दिया है। इस फॉर्मूले में गठबंधन की मुख्य पार्टियों और छोटे सहयोगी दलों में सीटों का बंटवारा इस प्रकार किया गया है:
दल | सीटों की संख्या |
---|---|
भारतीय जनता पार्टी (BJP) | 101 |
जनता दल (यूनाइटेड) (JDU) | 101 |
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) (LJP-RV) | 29 |
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) | 6 |
राष्ट्रीय लोक मोरचा (RLM) | 6 |
इस प्रकार, कुल 243 विधानसभा सीटों में से एनडीए गठबंधन ने इस तरह की रणनीतिक हिस्सेदारी तय की है।
विशेष बिंदु और प्रतिक्रियाएँ
- बराबरी का निर्णय
इस बंटवारे में खास बात यह है कि इस बार बीजेपी और जेडीयू को समान रूप से 101 सीटें दी गई हैं, जो गठबंधन में शक्ति संतुलन की दिशा में एक नया संकेत माना जा रहा है। - LJP की बढ़ी हिस्सेदारी
चिराग पासवान की पार्टी LJP-RV को 29 सीटों की हिस्सेदारी मिली है, जिससे वह गठबंधन के अन्य सहयोगियों के मुकाबले अपेक्षाकृत बड़े दायित्व में होगी।
सूत्रों के अनुसार, LJP संभवतः बख्तियारपुर, फतुआ, गया, राजगीर जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रत्याशी उतारेगी। - छोटे सहयोगियों की नाराज़गी
विषय प्रेस में यह खबर आई है कि HAM और RLM को मात्र 6–6 सीटें मिलने पर दोनों दलों में नाराज़गी है। HAM प्रमुख जितन राम मंझी ने कहा है कि 6 सीटें न्यूनतम उम्मीद से कम हैं। - गठबंधन में संतुलन की कोशिश
एनडीए सूत्रों का कहना है कि यह फॉर्मूला ‘सु–समन्वय और संतुलन’ की भावना से तैयार किया गया है, ताकि गठबंधन में किसी भी दल को अत्यधिक दबाव न हो।
भविष्य की चुनौतियाँ
- फॉर्मूले को जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा स्वीकार्यता मिलेगी या नहीं, यह बड़ी चुनौती है।
- छोटे सहयोगियों की नाराज़गी यदि बढ़ी तो गठबंधन पर आंतरिक दबाव बन सकता है।
- सीट बंटवारे के बाद, अब प्रत्येक दल को अपने-अपने उम्मीदवारों को तय करना है, जिसमें कैस्टीय समीकरण, क्षेत्रीय जनाधार और स्थानीय राजनीति महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।